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विडम्बनाओं के दौर से गुजरता सूर्यनगरी कन्दाहा


महिषी प्रखंड का एक छोटा सा गाँव “कन्दाहा” जो कभी सिर्फ सूर्यनगरी के नाम से पहचाना जाता था एवम बाबा भाष्कर के दर्शन एवम पूजन के लिए दूर दराज से भक्तजन आस्था लिए आते थे , आज विडम्बनाओं के दौर से गुजर रहा है | गाँव की एकता छिन्न भिन्न हो चुकी है एवम अराज़क कार्यो का संपादन जोर शोर से किया जा रहा है |

ऐसा नहीं है की गाँव की एकता एवम अखंडता पर ये चोट पहली बार किया जा रहा है , ऐसे कुछ लोग हैं जिनका सिर्फ इतना ही काम होता है गाँव की एकता बिखरे और उसे इसका फायदा मिले | इस कन्दाहा की गौरवमयी धरा पर सभी तरह के लोग पैदा हुए हैं ,कुछ ऐसे हुए जिन्होंने इस गाँव एवम क्षेत्र की गरिमा बढ़ाई ,और कुछ ऐसे हुए एवम कुछ ऐसे वर्तमान में भी हैं जो हर पल -हर क्षण गाँव को रसातल की ओर ले जाने को तत्पर रहते हैं | जहाँ तक मुझे याद है और शायद सभी जानते होंगे की अभी जो लोग अपने आ

प को विकाश पुरुष कह के अपना पीठ खुद ठोक ठोक के लाल किये हुए हैं उनमें से कोई भी ये दिखा दे की आज तक के इतिहास में इन्होने या इनके पूर्वजों ने गाँव या मंदिर के विकाश के दिशा में कोई भी एक कार्य किये हों | इतिहास गवाह है जब भी इस गाँव या इस मंदिर के विकास की बातें हुई इनलोगों ने हरसंभव अपनी टांग अड़ाई हैं और जहाँ तक इन लोगों से बन पाया विकास कार्य को बाधित कर नाम कमाए हैं |

कुछ ऐसा ही वाकया अभी हाल फ़िलहाल भी घटित हुआ जिसने इस गाँव की एकता और अखंडता की ही नहीं ,अपितु सारे मर्यादा एवम परम्पराओं को भी तारतार कर दिया | वर्षों से चली आ रही परम्पराओं को क्षत विक्षत कर ये लोग उसे विकास का चोला पहनाने के प्रयास में लगें हुए हैं | शायद इन लोगों को इस बात का ज़रा भी ज्ञान नहीं की ये लोग भी हिन्दू ही हैं एवम सनातन धर्म से प्रतिबद्ध हैं ,और सनातन धर्मं की अपनी कुछ रीतियाँ हैं ,रश्मो रिवाज़ हैं ,प्रथाएँ हैं जो इस धर्म को सभी धर्मो से पृथक करती हैं | लेकिन इन सब की समझ इनलोगों को कहाँ है और होना भी नहीं चाहिए ,इन्हें तो बस किसी प्रकार दंगे करवाने हैं ,लोगों में इर्ष्याभाव पैदा करना है जो इनके फायदे का कारक बने | इनलोगों को इस बात से कतई फर्क नहीं पड़ता की इनके निजी स्वार्थ की कीमत पूरे गाँव को अपनी इज्जत गवां कर देनी पड़ती हैं |

पूर्व में जहाँ कन्दाहा गाँव का नाम सिर्फ पर्यटन स्थल ,भगवान भाष्कर एवम उनके चमत्कारिक महत्वों के लिए लिया जाता था , आज आसपास के क्षेत्रों में कुछ लोगों के चलते धार्मिक कुव्यवस्था एवम कुरीतियों से सम्बंधित चर्चा का विषय बन गया है | इनलोगों को इस बात की तनिक भी परवाह और पश्यताप नहीं की उनके द्वारा किये गए कुकृत्य से इस वक्त ये गाँव कितनी बदनामी झेल रहा है | शायद इन सब बातों से इन लोगों को कोई फर्क नहीं पड़े , क्यूंकि ये लोग तो इतने महान हैं की इनके कुकृत्य एवम अत्याचार पर अगर कोई किताब लिखी जाय तो शायद हजारों पन्ने हो जाएँ |

अंततः सभी क्षेत्र वासियों से मेरी यही अपील है की सब लोग मिलकर हमारे एकमात्र धरोहर सूर्य मंदिर कन्दाहा पर हो रहे गन्दी राजनीति एवम निजी स्वार्थ के लिए खेले जा रहे खेल को बंद करवाएं और इस पवित्र धरोहर के प्रगति को अनवरत चलने दें और इसकी बागडोर ऐसे योग्य हाथों में दें जो सभी प्रकार से इसके लायक हो और सबसे बड़ी बात की साफ़ चरित्र का हो | हमें पता है की ऐसे लोगों की फितरत मरने के बाद ही ख़त्म होती है इसलिए उनलोगों को सन्देश देना चाहूँगा की अपने इस नास्तिक कला का प्रदर्शन किसी और क्षेत्र में करें , अपने स्वार्थ की पूर्ति मेहनत करके भी की जा सकती है ,इसके लिए इस अनमोल धरोहर को नष्ट करने की कोशिश ना करें |

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