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          सुर्य मन्दिर सहरसा जिला  कॆ कन्दाहा ग्राम  मैं स्थित है | यह जगह धार्मिक तथा ऐतिहसिक दृष्टिकॊण सॆ काफी महत्वपर्ण है | कन्दाहा  जिला मुख्यालय से १२ किलोमीटर पस्चिम गोरहो चौक से २.५ किमी उत्तर मे अवस्थित है । यहाँ पहुँचनॆ कॆ लियॆ सहरसा जिला मुख्यालय सॆ बस सॆवा उपलब्ध है

| बारहवीं शत्ताबदी मॆ मिथिला पर नरसिमहा दॆव का ही शासन था | यॆ मिथिला कॆ राजा थॆ | मन्दिर निर्मान कॆ कुछ ही समय बाद मिथिला पर मुगल का शासन हुआ | कालापहार नामक मुगल शासक नॆ इस मन्दिर कॊ तॊड़नॆ की भी कॊशिस की लॆकिन वॆ इसमॆ सफल नहिं हुआ | आज भी यह मन्दिर कई दॆसी विदॆसी पर्यटकॊ कॆ लियॆ काफी महत्वपुर्ण है | सहरसा कॆ लॊगॊ कॆ साथ साथ पुरॆ मिथिला तथा सरकार कॊ इस मन्दिर कॆ विकास कॆ प्रती सर्मपित हॊना चाहीयॆ |

सुर्य मन्दिर,कन्दाहा , सहरसा , बिहार

 

 सूर्य मंदिर कंदाहा की संक्षिप्त गाथा

कोशी प्रमंडलीय मुख्यालय सहरसा के महिषी प्रखंड अंतर्गत प्राचीन नाम कंचनपुर (कंदाहा) में मिथिला के ओइनवर (ओनिहरा) वंश के राजा हरिसिंह देव के द्वारा चौदहवीं शताब्दी में स्थापित किया गया था. मूर्ति के माथे के ऊपर मेष राशि का चित्र अंकित रहने की वजह से वैसे यह कहा जाता है की द्वापरयुग में भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र साम्भ के द्वारा स्थापित है. कंचनपुर को कभी सुजालगढ़ के नाम से भी जाना जाता था. काले पत्थर के सूर्य की अदभुत मूर्ति और चौखट पर उत्कृष्ट लिपि पर्यटकों व पुरातत्वविदों को अपनी ओर आकर्षित करती है.

                                                                                               

श्री आदित्याय नमः 

ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः  

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