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पौराणिक कुआं का महत्व

  • KRISHNANAND JHA
  • Jul 13, 2015
  • 1 min read

श्रद्धालुओ के बीच पौराणिक कुआं की काफी महत्व है॰ इस कुआं के जल सेखासकर छठ पर्व व कार्तिक पूर्णिमा के रोज जो भी स्नान करेगा उसके शरीर से त्वचा रोग का नाश हो जाएगा. खासकर सफ़ेद दाग के रोगियों के लिए ज्यादा महत्वपूर्ण है॰ इसके अलावा कुछ दिनों तक नियमित जल के सेवन से घेघा रोग भी समाप्त होने की बात ग्रामीण कहते है॰ कहा जाता है कि दरभंगा के राजा भवदेव सिंह को पीठिया रोग हो गया था और उसके निवारण के बाद ही न केवल मंदिर का जीर्णोधार करवाया बल्कि मंदिर मी विधिवत् पंडित बेचू झा को बतौर पुजारी के रूप में तैनात कर दिया गया था. आज भी पंडित स्वर्गीय बेचू झा के सातवीं पीढ़ी में पंडित बाबूकांत झा पुजारी के रूप में पूजा-अर्चना करते हैं.

कुआं से मिली है प्राचीन अवशेष

इस प्राचीन कुआं की सफाई के दौरान ढेर सारी अवशेष भी मिली है॰ इन अवशेष में सूर्य मंत्र और अन्य शिला मौजूद है. जिसकी गहन अध्ययन की जरूरत है॰

कुआं से मिली मईया खष्टि की मूर्ति

छठ पर्व के खरना के रोज खष्टी के रूप में पूजे जाने वाली माँ खष्टी की भी मूर्ति सफाई के दौरान कुआं से मिली है. पहले खरना फिर सूर्योपासना की परम्परा

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आज भी बनी हुई है. शायद पूरे देश मे मईया खष्टी की एक मात्र मूर्ति है॰

 
 
 
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