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सूर्य मंदिर कंदाहा की संक्षिप्त गाथा

कोशी प्रमंडलीय मुख्यालय सहरसा के महिषी प्रखंड अंतर्गत प्राचीन नाम कंचनपुर (कंदाहा) में मिथिला के ओइनवर (ओनिहरा) वंश के राजा हरिसिंह देव के द्वारा चौदहवीं शताब्दी में स्थापित किया गया था. मूर्ति के माथे के ऊपर मेष राशि का चित्र अंकित रहने की वजह से वैसे यह कहा जाता है की द्वापरयुग में भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र साम्भ के द्वारा स्थापित है. कंचनपुर को कभी सुजालगढ़ के नाम से भी जाना जाता था. काले पत्थर के सूर्य की अदभुत मूर्ति और चौखट पर उत्कृष्ट लिपि पर्यटकों व पुरातत्वविदों को अपनी ओर आकर्षित करती है.सहरसा जिला मुख्यालय से करीब 10 किलो मीटर पश्चिम बनगांव-गोरहोघाट चौक से उत्तर कंदाहा गांव है. महिषी प्रखंड क्षेत्र के कंदाहा गांव में भगवान सूर्य की अतिप्राचीन मंदिर है. देश के नौ सूर्य मंदिरों में सूर्य मंदिर कंदाहा भी काले पत्थर की कलात्मक व दुर्लभ सूर्य की मूर्ति के लिए चर्चित है. पुरातत्वविदों की नजर में इसकी खास महत्व है.

सूर्य मंदिर कन्दाहा

ऊँ हृीं श्रीं आं ग्रहाधिराजाय आदित्याय नमः

ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः  

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* ॐ भास्कराय नम:*

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